UP TET 2021 Important Questions in Hindi | बाल विकास की अध्ययन विधियाँ

 दोस्तो स्वागत है आपका UPSSSC Tyari में आज हम UPTET Exam के लिए बालविकास की अध्ययन विधियों की पूरी सारणी लेकर आये है। इस सारणी में सभी बालविकास की विधियों के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य बताये गये है। यह विधियां बालक के व्यक्तित्व, रूचि, अभिरूचि और व्यवहार का अध्य्यन करने के लिए प्रयोग होती है। इन विधियों को शिक्षण विधियां समझने की भूल कतई न करें। शिक्षण विधियों का प्रयोग बालक को उसकी रुचि के अनुसार शिक्षण देने में किया जाता है।

दोस्तो स्वागत है आपका UPSSSC Tyari में आज हम UPTET Exam के लिए बालविकास की अध्ययन विधियों की पूरी सारणी लेकर आये है। इस सारणी में सभी बालविकास की विधियों के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य बताये गये है। यह विधियां बालक के व्यक्तित्व, रूचि, अभिरूचि और व्यवहार का अध्य्यन करने के लिए प्रयोग होती है। इन विधियों को शिक्षण विधियां समझने की भूल कतई न करें। शिक्षण विधियों का प्रयोग बालक को उसकी रुचि के अनुसार शिक्षण देने में किया जाता है।


बाल विकास की अध्ययन विधियाँ

क्र.सं.

विधियाँ

प्रवर्तक

विवरण

1.

अन्तः दर्शन विधि

विलियम वुण्ट तथा

शिष्य टिचनर

यह मनोविज्ञान की सबसे प्राचीन विधि है।

इस विधि को आत्म निरीक्षण विधि भी कहां जाता है।

2.

बहिर्दर्शन विधि

जे.बी. वाटसन

वाटसन को व्यवहारवाद का जनक कहते है।

इसे अवलोकन या निरीक्षण विधि भी कहते है।

3.

जीवन वृत्त विधि

टाइडमैन

इस विधि का प्रयोग चिकित्सा क्षेत्र में किया जाता है।

इस विधि द्वारा व्यकित के विशिष्ट व्यवहार के कारण की खोज की जाती है।

4.

मनोविश्लेषणात्मक विधि

सिगमण्ड फ्रायड

इस विधि द्वारा अचेतन मन का अध्य्यन किया जाता है।

5.

प्रश्नावली विधि

वुडवर्थ

इस विधि में एक ही समस्या के संबंध में अनेक व्यकितयों के विचार जाने जाते है।

6.

समाजमिति विधि

जे.एल. मोरेनो

यह एक नवीन विधि है जिसका प्रयोग समाज मनोविज्ञान में किया जाता है।

7.

प्रयोगात्मक या परीक्षण विधि

विलियम वुण्ट

इस विधि में चरों या घटनाओं के मध्य संबंधो का पता लगाया जाता है।

8.

चरित्र लेखन विधि

प्रेयर

इस विधि में बालक के प्रतिदिन का व्यवहार का निरीक्षण किया जाता है।

9.

मनोमिति विधि

 

इस विधि द्वारा बालक की रूचि, अभिरूचि, व्यक्तित्व, बुद्धि उपलब्धि आदि के संबंध में इसका व्यापक प्रयोग होता है।

10.

साक्षात्कार विधि

बिघंम और मुरे

बालविकास का अध्य्यन करने के लिए सबसे सरल और महत्वपूर्ण विधि

11.

तुलनात्मक विधि

थॉर्नडाइक, पॉवलव, कोहलर आदि ने इसी विधि का प्रयोग किया

इस विधि में तुलना की जाती है। पशुओं के व्यवहारों का अध्य्यन करके मनुष्यों के व्यवहार का विश्लेषण और व्याख्या की जा सकती है।

12.

समकालीन विधि

 

इस उपागम द्वारा विकास की प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए विभिन्न आयु वर्ग के बालकों का चयन किया जाता है। इन स्तरों पर प्राप्त परिणामो के आधार परर विभिन्न स्तरों के विकास के विषय में सामान्यीकरण किया जाता है। किसी निश्चित योग्यता का मापन करना ही समकालीन अध्ययन है।

13.

दीर्घकालीन विधि

 

इस प्रणाली में विभिन्न अवस्थाओँ के अलग अलग समूहों का चयन नहीं होता बल्कि एक ही बालक का विभिन्न अवस्थाओँ में अध्ययन किया जाता है।

इसलिए इसमें समय अधिक लगता है।

14.

रेटिंग स्केल विधि

 

इस विधि में व्यक्ति के व्यवहार एवं विशिष्ट गुणों का

 इस प्रकार हमने जितनी भी बाल विकास के लिए महत्वपूर्ण विधियां सभी को शामिल किया है। 

इन्हे भी देखें-

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