UP TET की पिछली परीक्षाओं में पूंछे गये बालविकास एवं शिक्षा शास्त्र के महत्वपूर्ण

 बालविकास एवं शिक्षण शास्त्र ( UP TET Previous Year Questions )

देस्तों यूपी टेट की परीक्षा में बालविकास एवं शिक्षण शास्त्र का बहुत अहम योगदान है। इस सेक्सन से आपके परीक्षा में 30 प्रश्न पूंछे जाते है। और अगर इन 30 प्रश्नों में से 25 प्रश्न भी बन जाते है। तो आपकी परीक्षा में मार्किंग अच्छी हो जाती है।

इसलिए हमारा प्रयास है कि हम अपनी साइट upsssctyari के माध्यम से आप तक यूपीटेट की परीक्षाओं मे पूंछे गये कुछ बाल विकास के महत्वपूर्ण प्रश्नों को पहुंचाने का प्रय़ास है। हम यूपी टेट की परीक्षा के लिए सभी विषय के प्रश्नों को अपनी साइट पर डाल रहे है। आप UP TET 2021 को क्लिक करके और भी पिछले सालों के प्रश्नों को पढ़ सकते है।

देस्तों यूपी टेट की परीक्षा में बालविकास एवं शिक्षण शास्त्र का बहुत अहम योगदान है। इस सेक्सन से आपके परीक्षा में 30 प्रश्न पूंछे जाते है। और अगर इन 30 प्रश्नों में से 25 प्रश्न भी बन जाते है। तो आपकी परीक्षा में मार्किंग अच्छी हो जाती है।


इस पोस्ट में हम बालविकास की अवस्थाओं से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कथनों को पढ़ेंगे।

बालविकास की अवस्थाओँ पर महत्वपूर्ण कथन

1. शैश्वावस्था- ( जन्म से 5 वर्ष तक)

  • जॉन लॉक- शिशु का मस्तिष्क कोरी स्लेट होता है। जिस पर व्यक्ति अपने अनुभव के आधार पर लिखता है। इसलिए जॉनलॉक को अनुभववाद का जनक कहते है।

  • वैलेन्टाइन- शैश्वावस्था सीखने का आदर्शकाल है।

  • स्ट्रैंग- जीवन के प्रथम दो वर्षों में बालक अपने भावी जीवन का शिलान्यास करता है।

  • ब्रिजेस- दो वर्ष की उम्र तक बालक में लगभग सभी संवेंगों का विकास हो जाता है।

  • जे. न्यूमेन- पांच वर्ष तक की अवस्था शरीर व मस्तिष्क के लिए बड़ी ग्रहणशील रहती है।

  • क्रो एण्ड क्रो- बींसवी शताब्दी बालकों की शताब्दी है।

  • रॉस- शिशु कल्पना का नायक है, अतः उसका भली प्रकार निर्देशन अपेक्षित है।

  • एडलर- शिशु के जन्म के कुछ समय बाद ही यह निश्चित किया जा सकता है कि भविष्य में उसका स्थान क्या है।

  • गैसल- बालक प्रथम छः वर्ष में बाद के 12 वर्ष से भी दुगुना सीख जाता है।

  • सिगमण्ड फ्रायड- शिशु में काम प्रवृत्ति बहुत प्रबल होती है पर वयस्कों की भांति उसकी अभिव्यक्ति नहीं होती है।

  • वाडसन - शैश्वावस्था में सीखने की सीमा व तीव्रता विकास की अन्य अवस्था से बहुत अधिक होती है।

  • रूसो के अनुसार- बालक के हाथ, पैर व नेत्र उसके प्रारंभिक शिक्षक है। इन्हीं के द्वारा वह पांच वर्ष में ही पहचान सकता है, सोच सकता है और याद कर सकता है।

2.बाल्यावस्था-( 6-12 वर्ष तक)

  • कोल एवं ब्रुस - बाल्यावस्था को जीवन का अनोखा काल कहा है।

  • रॉस- बाल्यावस्था को मिथ्य या छद्म परिपक्वता का काल कहा है।

  • ब्लेयर, जोन्स एवं सिम्पसन के अनुसार- शैक्षिक दृष्टिकोण से बाल्यावस्था से अधिक जीवन में कोई महत्वपूर्ण अवस्था नहीं है।

  • स्ट्रैंग - बालक की भाषा में सर्वाधिक रूचि होती है।

  • सिंगमण्ड फ्रायड- बाल्यावस्था को काम की प्रसुप्तावस्था कहा है।

  • बर्ट- बाल्यावस्था भ्रमण व साहसिक कार्य की प्रवृत्ति में वृद्धि होती है।

  • स्ट्रैंग - ऐसा शायद ही कोई खेल हो जिसे दस वर्ष के बालक न खेलते हो।

  • किल्पैट्रिक महोदय- बाल्यवस्था को प्रिद्वंद्वात्मक समाजीकरण का काल कहा है।

3. किशोरावस्था ( 13-18 वर्ष)

  • स्टेनलेहॉल- किशोरावस्था प्रबल दबाव, तनाव, तूफान व संघर्ष का काल है।

  • ई.ए. किलपेट्रिक- किशोरावस्था को जीवन का सबसे कठिन काल कहा है।

  • रॉस - किशोरावस्था , शैश्वावस्था की पुनरावृत्ति है।

  • वैलेन्टाइन - घनिष्ठ व व्यक्तिगत मित्रता उत्तर किशोरावस्था की विशेषता है।

  • वैलेन्टाइन- किशोरावस्था अपराध प्रवृत्ति के विकास का नाजुक समय है।

  • स्किनर - किशोर को  निर्णय का कोई अऩुभव नहीं होता है। अतः निर्देशन व परामर्श दें।

  • विग एण्ड हंट- किशोरावस्था को व्यक्त करने वाला एक ही शब्द है वह है परिवर्तन।

  • जीन पियाजे- किशोरावस्था महान आदर्शों व वास्तविकताओं से अनुकूलन का समय है।
इन्हे भी देखों------

इस प्रकार ये रहीं कुछ बालविकास से संबंधित परिभाषायें एवं कथन जो की आपकी आगामी यूपी टेट की परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण होंगी। जो महत्वपूर्ण कथन परीक्षा में पूंछे जाने लायक थे उन्ही को हमने अपनी पोस्ट में शामिल किया है।

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